Laghu udyog mein nyunta:
आजादी से पहले शिक्षा का स्तर बहुत निम्न था परन्तु उस समय भारत के प्रत्येक कोने कोने में Laghu Udyog अपनी चरम सीमा पर था। प्रत्येक गाँव में हस्तकरघा, टोकरी बनानेवाले, कुम्भकार, मोची, वैद्य आदि की बहुतायत होती थी। जैसे ही आजादी के उपरांत देश में वैज्ञानिकता और शिक्षा पर बल देना शुरू किया । जिससे देश का विकास तो हुआ परंतु Laghu Udyog mein nyunta आनी शुरू हो गई । इस न्यूनता का कारण आधुनिक विज्ञान भी है परन्तु मैं वैज्ञानिकता से ज्यादा दोषी आज की शिक्षा प्रणाली को मानता हूँ। क्योंकि शिक्षा पद्धति में तो अत्यधिक बदलाव किया गया। बच्चे स्वदेशी भाषाओं से ज्यादा विदेशी भाषाओं में निपुण हों । बच्चों को विदेशी भाषाओं में प्रबल बनाने के लिए विभिन्न पाठ्यक्रम निर्धारित किये गए परन्तु दुख की बात यह है कि हमारे पूर्वजों से परम्परागत विरासत में मिली हुई वंशानुक्रम की कार्य कुशलता को समाप्त ही कर दिया। परंतु उससे भी बड़ी समस्या अब यह है कि बच्चे किसी भी प्रकार के काम करने में संकोच कर रहे हैं। मेरा मानना है कि उसका कारण है- बच्चों को फेल न करना। जिससे हर बच्चा पढ़ तो रहा परन्तु वंशानुक्रम कार्य कुशलता को खो रहा।: न तो इनके प्रति सरकार का कभी ध्यान आकर्षित हुआ। नही कभी युवाओं ने इसके प्रति सोचा कि हमारे पूर्वज किस तरह अपना जीवन यापन करते थे। पहले बच्चे फेल तो होते थे जिससे शिक्षा से वंचित होना पड़ता था परंतु वह किसी न किसी काम में अपना हुनर प्राप्त कर लेते थे।
क्योंकि प्रत्येक बच्चे में भिन्न भिन्न कला, भिन्न भिन्न सीखने की क्षमता, भिन्न भिन्न रूचि होती है। आजकल हम बच्चों को सिर्फ एक बात ही जता रहे हैं कि आधुनिकता सिर्फ पढ़ाई में ही है।
इस पढ़ाई के चक्कर में हमने बच्चों की कला को खो दिया। विगत वर्षों के प्रति हम अपना ध्यान आकर्षित करें तो बहुत कुछ सीखने को मिलेगा । हमने अपनी आँखों के सामने रोजमर्रा उद्योगों को खत्म होते देखा परंतु कभी यह नहीं सोचा कि इसका खत्म होने का कारण क्या है।
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