बरसात और यादें (Barsat Aur yaadein)
भीगती रहती हैं यादें तेरी, इन बरसाती रातों में,
तन्हा दिल कुछ कह नहीं पाता, इन भीगी बातों में।
बरसात में हर बूंद कुछ कहती है,
तेरे बिना तन्हा सी लगती है।
भीगी आंखें तेरी तन्हां में खामोश है,
कब तेरी यादों की फिर बरसात होगी।
तेरी हर बूंद पर मेरे जिस्म की खुशबू होगी,
आज नहीं, कल तुझसे मुलाकात होगी।
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