ऐ दर्द | Ae Dard | Kushal Sharma


ऐ दर्द Ae Dard Kushal Sharma kushal ki kalam

ऐ दर्द | Ae Dard | Kushal Sharma

इतना मत सूखना कि बहते-बहते नाला बन जाओ;

इतना भी उफान मत लेना कि लहरों से समुंदर बन जाओ।

बस, मेरी ज़िंदगी में तालाब बनना-

जहाँ स्वाद भी हो,

अपनों का ख्याल भी हो।

दर्द(Dard), तू आ भी गया तो समझौता पास रखना;

हालात चाहे जैसे भी हों, जीने का हौसला पास रखना।

ऐ दर्द, जब तुझसे मेरी मुलाक़ात होगी,

हौसले से पहली सवालात होगी।

तू कांटा बनकर चुभे नहीं,

बल्कि रास्ते का सबक बनकर चले;

तू बोझ न बन,

बल्कि कंधों को मज़बूत करने का कारण बन जा।

ऐ दर्द (Ae Dard),

अगर तू साथी बन ही गया है,

तो चल – मेरे सफ़र में हमसफ़र भी बन जा।

तेरी मौजूदगी अगर लिखी गई है मेरी तक़दीर में,

तो तू मुझे तोड़ने के लिए नहीं,

बल्कि और मज़बूत बनाने के लिए आए।

तू हर आंसू के पीछे छुपा सबक हो,

हर तकलीफ़ के बाद उभरती उम्मीद हो।

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