Gaon Ki Badalti Tasveer
सब समय की बात है। एक समय था कि गांव में एक धनी व्यक्ति होना उस गाँव के लोगों के लिए बड़ी गर्व की बात होती थी। वह उस गाँव का भविष्य द्रष्टा होता था। पूरा गांव उसका मान सम्मान करता सब उस पर ही निर्भर रहते। लोग इस बात पर गर्व करते थे कि हमारे ऊपर जब भी कोई मुसीबत आएगी। तब यह हमारे सुख-दुख में साथ देगा। चाहे वह धन की हो अथवा धान्य की।
किसी भी प्रकार की मुसीबत हो वह आदमी चट्टान की खड़ा रहता था । उससे भी बढ़कर एक अच्छी बात यह थी कि वह कभी भी गांव छोडकर बाहर बसने की बात नहीं करता था। उसके लिए गाँव से बढ़कर कुछ भी नहीं और गाँव के लोग उसके दिलों जान हुआ करते थे। गाँव स्वर्ग तुल्य लगता था। शुद्ध जल, शुद्ध वातावरण, शुद्ध अन्न ये उनके अनमोल हीरे थे। इस बात को बारम्बार दोहराते थे। (Gaon Ki Badalti Tasveer)
“जन्मे भी यहीं, मरेंगे भी यहीं पर गाँव से बाहर कहीं नहीं”
यहीं उनकी अटल वाणी हुआ करती थी परंतु सब समय का खेल है। धीरे -धीरे समय बदलता गया।गांव के लोगों की मानसिकता व तस्वीर भी बदलती गयी । जो चीजे उनको स्वर्ग तुल्य व शुद्ध लगा करती थी। वह आज उनके लिए वह अभिशाप बन गई ।
आजकल गाँव (Gaon Ki Badalti Tasveer) में लोगों के पास धन तो है पर उनका प्रथम मकसद गाँव के बाहर घर बनाना।
आजकल गाँव (Gaon Ki Badalti Tasveer) में एक प्रतिस्पर्धा चल रही है कि “धन कमाओ शहर बसाओ” धन आते ही लोगों की तस्वीर बदल रही है। गाँव का जीना क्या जीना? बस इसी होड़ में गाँव के गाँव खाली हो रहे है। जो गाँव कभी स्वर्ग तुल्य थे वे आज नरक तुल्य हो गए।
जो संपूर्ण सुख सुविधा से परिपूर्ण थे परंतु वे आज सब प्रकार से विरक्त हो गए। आज गाँव में लोग धनवान तो हो रहे पर उस सम्मान को न पा रहें हैं। जो पूर्वजों ने अर्जित किया था।
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