नाम | Naam
गुमनाम चेहरे ही नाम कमाते हैं,
फोटो वाले बस अपनी पहचान दिखाते हैं।
आज भी इतिहास इसका गवाह है,
खोजा उन्हीं को जाता है,
जिनका सच में कोई नाम होता है।
ढेरों मिलेंगे आपको –
जो लाइक्स -शेयर की भीड़ में खो जाते हैं,
वो असली पहचान कहाँ छोड़ पाते हैं?
नाम कमाने के चक्कर में लगे हैं,
पर असल में, बस काम अच्छा होना चाहिए।
तारिफ़ें तो उन्हें ही भाती हैं,
जिन्हें खुद पर यकीन नहीं है।
जो खुद की नजरों में ही छोटे होते हैं,
वो दूसरों की तालियों के मोहताज होते हैं।
कौन कहता है कि नाम शोहरत से बनता है,
असल में नाम तो खामोशी में चमकता है।
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