आज के आदर्श (Aaj ke Aadarsh)
विगत वर्षों की ओर देखें या इतिहास के पन्नों को उलटकर देखें तो पाएँगे कि हमारे युवाओं के आदर्श कौन-कौन महापुरुष हुआ करते थे-स्वामी विवेकानंद, वीर सावरकर, पृथ्वीराज चौहान, महाराणा प्रताप इत्यादि। इन महापुरुषों का जीवन महान व्यक्तित्व, उत्तम चरित्र, सज्जनता, भक्ति-भाव, संघर्षशीलता, राष्ट्रवाद और आडंबरविहीनता से परिपूर्ण हुआ करता था। युवा पीढ़ी इनके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर अपने जीवन को इनके अनुरूप बनाने के लिए सदैव प्रयत्नरत रहती थी। आने वाली पीढ़ियाँ भी इन महापुरुषों के गुणों को विरासत में संजोकर रखती थीं ताकि देश का प्रत्येक नागरिक एक आदर्शवादी बन सके।
जब से सिनेमा का जन्म हुआ है, तब से युवाओं की सोच बदलने लगी। आज भी युवाओं के आदर्श तो हैं, परंतु आदर्शवाद की सोच कहीं न कहीं खो गई है। यदि हम आज के आदर्शों की बात करें तो अधिकांश युवाओं के आदर्श अभिनेता और अभिनेत्रियाँ हैं। यह कोई बुरी बात नहीं है, क्योंकि युवा उनके अभिनय से इतना प्रभावित हो जाते हैं कि उन्हें ही अपना आदर्श मानने लगते हैं। वास्तव में अभिनय एक कला है और इसमें कोई संदेह नहीं कि यह प्रेरणा का साधन भी हो सकता है। युवाओं की यह सोच होती है कि हमें भी अभिनेता जैसा आदर्श बनना है।
परंतु यहाँ समझने की बात यह है कि अभिनय और अभिनेता में बहुत अंतर है। युवा इनके अनुरूप जिंदगी तो जी रहे हैं, लेकिन वास्तविक आदर्शवाद से उतना ही दूर होते जा रहे हैं।
यह आज सोचने का विषय है कि हम अपने सच्चे आदर्शों को कहाँ खोते जा रहे हैं।
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