शोर नहीं, शांति में है ईश्वर | Shoor Nahi Shanti Main Hain Ishvaar | Story by Kushal Sharma


Shoor Nahi Shanti Main Hain Ishvaar | शोर नहीं, शांति में है ईश्वर | Story by Kushal Sharma

शोर नहीं, शांति में है ईश्वर | Shoor Nahi Shanti Main Hain Ishvaar

एक गांव में धर्मद नाम का एक पुजारी रहता था। वह धार्मिक प्रवृत्ति का व्यक्ति था और अपने नाम के अनुरूप ही निरंतर ईश्वर की सेवा में लीन रहता था।

धीरे-धीरे उसके तपोबल की चर्चा चारों दिशाओं में फैलने लगी। दूर-दराज़ के लोग उससे मिलने और अपने दुख साझा करने आने लगे। धर्मद ने ‘दुख निवारण दरबार’ लगाना शुरू किया, जहाँ लोग अपनी परेशानियाँ सुनाते और वह उन्हें ईश्वर की भक्ति की राह पर चलने की सलाह देता।

“ईश्वर की आराधना ही सुख है”

यह उसका प्रिय मंत्र था, जिसे वह हर भक्त को जपने और जीवन में उतारने की प्रेरणा देता।

परंतु समय के साथ…

पुजारी धर्मद में घमंड आ गया। उसके स्वभाव में उग्रता और कठोरता पनपने लगी। अब वह अपने आप को ईश्वर तुल्य समझने लगा। दरबार में आने वालों को वह लज्जित करता, डाँटता और अपमानित करने लगा। लोग उसकी कठोरता से दुखी और शर्मिंदा होने लगे।

एक दिन…

एक दिन चम्पक नामक व्यक्ति उसके दरबार में आया। उसने हाथ जोड़कर प्रणाम किया और बोला –

“महाराज, मुझे आपसे कुछ प्रश्न करने हैं।”

धर्मद ने अहंकारपूर्वक कहा – “पूछो, क्या सवाल हैं?”

चम्पक ने पूछा –

“महाराज, आपकी दिनचर्या क्या है?”

धर्मद ने गर्व से बताया –

“मैं ब्रह्ममुहूर्त में उठता हूँ और तेज़ आवाज़ में स्पीकर पर ईश्वर के भजन चलाता हूँ, जिससे गाँव के लोग जाग जाएं और प्रभु का नाम सुनें।”

चम्पक शांत स्वर में बोला –

“महाराज, आपने देवी का अपमान किया है।”

धर्मद चौंका और बोला –

“कौन-सी देवी? कैसा अपमान?”

चम्पक ने उत्तर दिया –

“शास्त्रों में प्रकृति को देवी कहा गया है। आप तेज़ स्पीकर की ध्वनि से पर्यावरण को हानि पहुँचा रहे हैं। यह प्रकृति देवी की अवहेलना है। आप भजन के माध्यम से नहीं, शोर के माध्यम से लोगों को जगा रहे हैं।”

धर्मद की आँखें खुलीं

पुजारी को जैसे एक झटका सा लगा। वह कुछ क्षणों तक मौन रहा। फिर विनम्र होकर बोला –

“अब मुझे समझ आया। मैं अब से स्पीकर का प्रयोग केवल अपने श्रवण तक सीमित रखूँगा और देवी प्रकृति का सम्मान करूँगा।”

अंत में उसने चम्पक को धन्यवाद दिया –

“तुमने मेरी आँखें खोल दीं। तुमने मुझे घमंड और पाप से बचा लिया।”

 

कहानी से सीख (शोर नहीं, शांति में है ईश्वर | Shoor Nahi Shanti Main Hain Ishvaar):

सच्ची भक्ति में विनम्रता होती है।

प्रकृति का सम्मान भी उतना ही आवश्यक है जितना ईश्वर की आराधना।

शोर से नहीं, शांति से ईश्वर का अनुभव होता है

 

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Comments

7 responses to “शोर नहीं, शांति में है ईश्वर | Shoor Nahi Shanti Main Hain Ishvaar | Story by Kushal Sharma”

  1. Virender Avatar
    Virender

    Very nice

  2. Nirmal Sharma Avatar
    Nirmal Sharma

    Bahut badiya

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  4. Raj Avatar
    Raj

    Very good

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