इंसान |Insaan |kushal sharma


     इंसान |Insaan |kushal sharma
  धर्म और धन के बीच में खड़ा है इंसान, 
  जाए कहाँ ––इसी सोच में पड़ा है इंसान।
  बस एक उलझन में पड़ा है इंसान
  धर्म और धन में किसे बताए महान?
    जिसे न समझ,न ज्ञान
   उसके लिए धन है महान। 
 
   जो सत्य की राह पर करे काम, 
   उसके लिए धर्म है भगवान। 
 
  जो इन दोनों में अंतर ढूंढ न पाए,
  वह करता मूर्खों की सरदारता का सम्मान
       धन से बने धनवान, 
     धर्म से मिले भगवान
 
  फिर भी तू अंतर जान न पाया इंसान। 
    ईश्वर  कैसी है तेरी माया,
   न मिला धन न रही काया
  अधूरी रह गई मेरे अरमानों की छाया
  बस सपनों में रह गया  जीने का साया। 
    
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